सोमवार, 2 अगस्त 2010
आए लेकिन रुला गये बादल
आंख हम से बचा गये बादल
जाने किस देस जा के बरसेंगे
देस अपना भुला गये बादल
पूरे मौसम में आग बरसती है
कैसा करतब दिखा गये बादल
फ़िर गिरेगी यहां-वहां बिजली
फ़िर घटाटोप छा गये बादल
रूह घायल लहू-लहू सांसें
कैसी हालत बना गये बादल
कारखानों की चिमनियों का धुआं
जैसे सर पर ही आ गये बादल
अब मरम्मत ज़रूरी है छत की
ये सबक भी पढा गये बादल
किस दिशा से "यकीन" आये थे
किस दिशा में समा गये बादल
------
purumalav.blogspot.com
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें