गुरुवार, 5 अगस्त 2010
छह
किस कदर है घुटा-घुटा मौसम
चाहिए था खिला-खिला मौसम
लाख चाहा कि फ़ूल हो हर सम्त
हर तरफ़ हो बहार का मौसम
फ़स्ल फ़ूली-फ़ली है नफ़रत की
कैसी रुत है ये कौन-सा मौसम
कहीं राहत कहीं घुटन देखी
है अज़ब मेरे दौर का मौसम
मैं ने कल रात ख्वाब ये देखा
चार सू था हरा-भरा मौसम
तब भी बदला था, अब भी बदलेगा
फ़िर से आयेगा इक नया मौसम
किस तरफ़ जा रहा है सोच "यकीन"
देख कर किस के नक्शे-पा मौसम
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aap achha likhate hai.safar zaari rakhen./
जवाब देंहटाएंफ़स्ल फ़ूली-फ़ली है नफ़रत की
जवाब देंहटाएंकैसी रुत है ये कौन-सा मौसम
यकीन साब ,
प्रणाम !
ये शेर आप कि नज़र है जो मुझे अच्छा लगा .
सादर